महेसाणा के ऐंठोर स्थित सिद्धिविनायक गणेश मंदिर – 900 साल पुराना पावन धाम

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 महेसाणा का प्राचीन ऐंठोर सिद्धिविनायक गणेश मंदिर

गजानन गणपति प्रथम पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ कार्य या मंगल अवसर की शुरुआत में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करने की परंपरा है। मान्यता है कि गणपति बाप्पा का नाम लेने से कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। देशभर में गणेश जी के असंख्य मंदिर स्थित हैं, लेकिन गुजरात के महेसाणा जिले के ऐंठोर गाँव का सिद्धिविनायक गणेश मंदिर विशेष प्रसिद्ध है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है और गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन करने पहुँचते हैं।


ऐंठोर गणेश मंदिर का इतिहास

महेसाणा से कुछ ही दूरी पर स्थित ऐंठोर गाँव को प्राचीन काल में ऐरावती नगरी के नाम से जाना जाता था। यहाँ पुष्पावती नदी के किनारे स्थित गणेश मंदिर लगभग 900 साल पुराना माना जाता है। विशेष बात यह है कि अधिकांश गणेश मंदिरों में गणपति की मूर्ति पत्थर से निर्मित होती है, जबकि इस मंदिर में स्थापित सिद्धिविनायक गणेश की मूर्ति मिट्टी से बनी है। भक्तों की मान्यता है कि यह मूर्ति स्वयंभू रूप से धरती से प्रकट हुई थी।

कहा जाता है कि प्रारंभ में यहाँ एक छोटा सा मंदिर था, जिसे समय के साथ नया रूप दिया गया। पुनर्निर्माण के बाद भी मंदिर की नक्काशी और शिल्प प्राचीन स्वरूप जैसा ही रखा गया है। यही कारण है कि यह धाम भक्तों को इतिहास और आध्यात्मिकता दोनों का अद्भुत संगम कराता है।


धार्मिक महत्व और मान्यताएँ

ऐंठोर सिद्धिविनायक गणेश मंदिर में प्रतिवर्ष आने वाली सभी चतुर्थियों पर देश-विदेश से भक्त दर्शन करने पहुँचते हैं। यहाँ चतुर्थी के व्रत का संकल्प विधिवत रूप से कराया जाता है। मंदिर प्रांगण में आने वाले भक्तों को चतुर्थी पर निःशुल्क फलाहार की व्यवस्था की जाती है, जबकि अन्य दिनों में भक्तों को प्रसाद का लाभ मिलता है।

मंदिर के बारे में एक और विशेष तथ्य यह है कि गणेश जी की मूर्ति जहाँ स्थित है, उसी स्थान पर दाहिनी ओर एक छोटा सा शिवालय भी मौजूद है। यहाँ भगवान महादेव और माता पार्वती भी स्वयंभू रूप में विराजमान हैं। इस कारण यह स्थान गणपति और शिव भक्ति दोनों का संगम स्थल माना जाता है।

दर्शन और आस्था का पावन केंद्र

गणेश चतुर्थी के पर्व पर ऐंठोर सिद्धिविनायक मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है। दूर-दराज से आने वाले भक्त यहाँ दर्शन कर अपने जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। भक्त मानते हैं कि इस मंदिर में गणपति बाप्पा की पूजा करने से सभी विघ्न दूर होते हैं और कार्य सिद्धि होती है।

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