तापी जिले के वालोड का 360 साल पुराना पगड़ीवाला गणेश मंदिर – इतिहास, महत्व और चमत्कार

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तापी जिले के वालोड का 360 साल पुराना पगड़ीवाला गणेश मंदिर

वालोड का प्राचीन गणेशधाम

तापी जिले के वालोड नगर में स्थित यह प्राचीन गणेश मंदिर लगभग 360 वर्ष पुराना है। इसे पौराणिक काल से आस्था और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। यहाँ विराजमान गणेशजी की अनोखी पगड़ीधारी प्रतिमा भक्‍तों के बीच "पगड़ीवाला गणेश" के नाम से प्रसिद्ध है।


गणेश प्रतिमा का महत्व

यहाँ की गणेश प्रतिमा पेशवाओं के समय की मानी जाती है। विशेष बात यह है कि गणेशजी यहाँ पगड़ी धारण कर बिराजमान हैं। यही कारण है कि इन्हें पगड़ीवाला गणपति भी कहा जाता है। प्रतिमा जमनी सूँढ़ (दाईं सूँढ़) वाली है और गणेशजी रिद्धि-सिद्धि के साथ विराजमान हैं।


मंदिर का इतिहास

कहा जाता है कि पेशवाओं के शासनकाल में जब वे युद्ध पर जाते थे, तो सबसे पहले इस मंदिर में गणेशजी के दर्शन करके ही आगे बढ़ते थे। मुग़लों ने इस मंदिर पर हमला कर प्रतिमा को खंडित करने की कोशिश की थी। प्रतिमा पर तलवार के निशान आज भी देखे जा सकते हैं।


भक्तों की आस्था और परंपराएँ

हर मंगलवार और अंगारकी चतुर्थी के दिन यहाँ भारी भीड़ रहती है। मंदिर में विशेष भंडारा और पूजा का आयोजन होता है। मंदिर की विशेष परंपरा यह है कि प्रत्येक चतुर्थी को चंद्रमा उदय होने के बाद महाप्रसाद दिया जाता है। इस प्रसाद को पाने वाले को "ओच्छव" करने वाला कहा जाता है।


प्राकृतिक सौंदर्य के बीच स्थित मंदिर

यह मंदिर वाल्मीकि नदी के किनारे स्थित है। भक्त यहाँ दर्शन करने के साथ-साथ प्राकृतिक वातावरण का भी आनंद उठाते हैं।


गणेश मंदिर के चमत्कार

भक्तों का मानना है कि यहाँ सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती है।
लोगों के अनुसार, कई भक्तों को यहाँ दर्शन करने के बाद जीवन में बड़ी सफलताएँ मिली हैं। कहा जाता है कि सूरत के एक परिवार को इस मंदिर की कृपा से अमेरिका का वीज़ा भी मिला।


मंदिर का सामाजिक और ऐतिहासिक महत्व

  • इस मंदिर में गांधीजी, सरदार वल्लभभाई पटेल, विनोबा भावे और सच्‍चिदानंद स्‍वामी भी आ चुके हैं।

  • पगड़ीवाले गणेशजी की प्रतिमा को लेकर कई लोककथाएँ और चमत्कार आज भी लोगों के बीच प्रचलित हैं।

  • यह मंदिर आज भी लोगों की आस्था, श्रद्धा और संस्कृति का प्रतीक है।


गुजरात में अद्वितीय पगड़ीवाला गणेश

महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक की तरह, गुजरात में यह मंदिर जमनी सूँढ़ वाले गणेश के लिए प्रसिद्ध है।
भक्त मानते हैं कि यहाँ दर्शन करने से रिद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है और हर मन्नत पूरी होती है।

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