हनुमानगढ़ी का महत्व और पौराणिक कथा
भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। मान्यता है कि अंजनीसुत हनुमानजी का वास इसी पावन नगरी में है। यहाँ सरयू नदी के तट पर दूर-दूर से भक्त अपने पाप धोने आते हैं और साथ ही हनुमानजी के पवित्र धाम के दर्शन कर पुण्य अर्जित करते हैं।
कहा जाता है कि त्रेतायुग से यह स्थान हनुमानजी की आराधना का केंद्र रहा है। मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे, तब उन्होंने स्वयं इस मंदिर की स्थापना कराई और हनुमानजी को यह आदेश दिया कि अयोध्या की रक्षा वे सदैव करेंगे। साथ ही उन्होंने यह वरदान भी दिया कि जो भी भक्त रामलला के दर्शन हेतु अयोध्या आएगा, उसे पहले हनुमानगढ़ी में हनुमानजी की पूजा करनी होगी। तभी उसकी प्रार्थना श्रीराम तक पहुँचेगी।
हनुमानगढ़ी मंदिर की संरचना और विशेषता
अयोध्या के मध्य स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 76 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही भक्तों का हृदय भक्ति से भर जाता है। मंदिर के गर्भगृह में लगभग 6 इंच की हनुमानजी की प्रतिमा विराजमान है, जो सदैव पुष्पों से सुशोभित रहती है।
मंदिर की दीवारों पर चारों ओर श्रीराम का नाम अंकित है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हनुमानजी के हृदय में जैसे प्रभु राम बसते हैं, वैसे ही इस धाम में भी राम का ही वास है।
हनुमानजी की कृपा और मान्यताएँ
हनुमानजी अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता माने जाते हैं। मान्यता है कि यदि हनुमानजी की कृपा किसी भक्त पर हो जाए, तो उसके जीवन से सभी कष्ट दूर होकर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह भी विश्वास है कि यदि कोई सच्चे मन से हनुमानजी का स्मरण करता है, तो उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। भक्तों का मानना है कि इस धाम में अपनी मनोकामनाएँ कहने से हनुमानजी अवश्य उन्हें पूर्ण करते हैं।
इतिहास और जीर्णोद्धार
इस मंदिर का प्राचीन इतिहास इसे और भी विशेष बनाता है। कहा जाता है कि अवध के नवाब मंसूर अली ने इसका जीर्णोद्धार कराया था। यह तथ्य यह भी सिद्ध करता है कि हनुमानगढ़ी केवल हिंदुओं के लिए ही नहीं, बल्कि हर धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र रहा है।
हनुमानगढ़ी में दर्शन का महत्व
हनुमानगढ़ी अयोध्या के दर्शन करना केवल एक धार्मिक यात्रा ही नहीं, बल्कि भक्ति और श्रद्धा का अनुभव है। यहाँ भक्त अपनी परेशानियाँ और समस्याएँ हनुमानजी को बताते हैं और विश्वास करते हैं कि पवनपुत्र हनुमान उनकी सभी कठिनाइयों को हर लेंगे।
अयोध्या आने वाले भक्त यह अच्छी तरह जानते हैं कि यदि उन्होंने पहले हनुमानगढ़ी में दर्शन नहीं किए, तो श्रीराम उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करेंगे। इसीलिए यहाँ दर्शन का विशेष महत्व है।
हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। यह स्थान न केवल हिंदुओं के लिए पवित्र है, बल्कि हर धर्म और संप्रदाय के लोग यहाँ दर्शन के लिए आते हैं। माना जाता है कि यहाँ दर्शन करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
यदि आप अयोध्या यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो हनुमानगढ़ी अयोध्या मंदिर के दर्शन किए बिना आपकी यात्रा अधूरी मानी जाएगी।