चतुर्भुज मंदिर इडर – 650 वर्ष पुराना विष्णु मंदिर और श्रद्धा का धाम
चतुर्भुज मंदिर का परिचय
गुजरात के साबरकांठा जिले में इडर डूंगर की तलहटी और इडर कुंड के पास स्थित है प्राचीन चतुर्भुज मंदिर, जिसे भगवान विष्णु के पवित्र धाम के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर के साथ 650 वर्ष पुराना पौराणिक वाव (कुंड) जुड़ा हुआ है। यह मंदिर केवल आस्था का ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।
चतुर्भुज मंदिर का इतिहास
कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 650 वर्ष पुराना है। स्थानीय लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थल भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप का प्रतीक है। यही कारण है कि इसे चतुर्भुज मंदिर कहा जाता है।
मंदिर में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी प्रतिमा है और भक्तों को यहां दिव्य दर्शन का लाभ मिलता है।
धार्मिक महत्व और विशेष दर्शन
इस मंदिर में अग्यारस, पूर्णिमा और अन्य धार्मिक पर्वों का विशेष महत्व है।
श्राद्ध पक्ष में यहां भारी भीड़ रहती है क्योंकि यह स्थान पितृ तर्पण और पिंडदान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
-
यहां पर भगवान विष्णु को पजरी और माखन जैसी प्रसादी अर्पित की जाती है।
-
भगवान श्रीरामचंद्रजी से जुड़े पर्व भी यहां श्रद्धा से मनाए जाते हैं।
पितृ तर्पण और श्राद्ध का महत्व
श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धापूर्वक पितरों का ऋण चुकाना। मान्यता है कि जो भी भक्त इस पावन धाम में श्राद्ध और पिंडदान करता है, उसे पितृ आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
विद्वानों के अनुसार मनुष्य पर तीन ऋण होते हैं – देव ऋण, पितृ ऋण और मनुष्य ऋण। इडर का यह धाम पितृ ऋण से मुक्ति का उत्तम स्थान माना जाता है।
भक्तों की आस्था
लोगों का मानना है कि इस मंदिर में दर्शन करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मन को शांति मिलती है।
यहां दर्शन के लिए आने वाले भक्त, श्री हरि विष्णु के नाम जपते हुए भक्ति में लीन हो जाते हैं।
मंदिर में भगवान विष्णु का स्वरूप इतना मनमोहक है कि भक्त उनके दर्शन कर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।